Sunday 4 December 2016

बीमा क्षेत्र

बीमा क्षेत्र

भारतीय जीवन बीमा निग‍म

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अपने मुंबई स्थित केंद्रीय कार्यालय तथा मुबई, कोलकाता, दिल्‍ली, चेन्‍नई, हैदराबाद, कानपुर और भोपाल स्थित सात क्षेत्रीय कार्यालयों एवं प्रमुख शहरों में स्थित अपने 101 मंडल-कार्यालयों और मुंबई के वेतन बचत योजना प्रभाग सहित तथा 2,048 शाखा कार्यालयों के जरिए कार्य करता है। 31 मार्च, 2006 तक देशभर में इसके 10,52,283 सक्रिय एजेंट थे। यह विदेशों में भी व्‍यवसाय करता है। वहां इसके कार्यालय फिजी, मॉरीशस और ब्रिटेन में हैं।

निगम की एक अंतर्राष्‍ट्रीय अनुषंगी कंपनी लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन (इंटरनेशनल), ई.सी. बहरीन की स्‍थापना 1989 में की गई थी। भारतीय जीवन बीमा निगम ने विदेशों में बीमा क्षेत्र में संयुक्‍त उद्यम भी स्‍थापित किए हैं। इनमें केन-इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड, नैरोबी; नेपाल में काठमांडू में स्‍थानीय औद्योगिक समूह 'विशाल ग्रुप लिमिटेड के साथ स्‍थापित की गयी लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोशन (नेपाल) लिमिटेड प्रमुख हैं। निगम का नवीनतम संयुक्‍त उद्यम एल.आई.सी. (लंका) लिमिटेड है जिसकी स्‍थापना एक मार्च, 2003 को वहां की बर्टलीट एंड कंपनी के सहयोग से की गई। अफ्रीका में बीमा करने के लिए एल आई सी इंश्‍योरेंस (मॉरीशस) ऑफशोर लिमिटेड नामक कंपनी बनायी गयी।

वर्ष 2005-06 के दौरान 315.73 लाख व्‍यक्तिगत पॉलिसियों के अंतर्गत निगम ने 1,79,883.16 करोड़ रुपए का नया कारोबार किया। निगम के समूह बीमा विभाग ने 11,845 योजनाओं के तहत 3,919.01 करोड़ रुपए का नया कारोबार किया और 51.27 लाख लोगों को सुरक्षा प्रदान की। परंपरागत समूह बीमा कारोबार में बीमाकृत राशि 25,216.88 करोड़ रुपए है। इसके अतिरिक्‍त निगम ने 19,48,025 नई व्‍यक्तिगत पेंशन पॉलिसी बेचीं।

अस्‍थायी नतीजों के अनुसार 31 मार्च, 2006 को जीवन बीमा निगम का जीवन-कोष 4,63,147.62 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। वर्ष 2005-06 के दौरान निगम ने बीमा धारकों की मृत्‍यु के मामलों में 3769.04 करोड़ रुपए, परिपक्‍वता दावों के तहत 24,743.42 करोड़ रुपए और वार्षिक दावों के तहत 1,977.54 करोड़ रुपए का भुगतान किया। (ये आंकड़े अनंतिम और लेखा-परीक्षा से पहले के हैं।)
वरिष्‍ठ पेंशन बीमा योजना के अंतर्गत एलआईसी ने मृत्‍यु के मामलों में 75.47 करोड़ रुपए और वार्षिक दावों के तहत 656.08 करोड़ का भुगतान किया। (ये आंकड़े अनंतिम और लेखा-परीक्षा से पहले के हैं।)

सामाजिक सुरक्षा सामूहिक बीमा योजना

सामाजिक सुरक्षा कोष की स्‍थापना वर्ष 1988-89 में की गई थी ताकि समाज के कमजोर और संवेदनशील वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके। इन वर्गों की बीमा संबंधी आवश्‍यकताएं पूरी करने के लिए एलआईसी द्वारा सामाजिक सुरक्षा कोष का प्रबंधन किया जाता है।
इस योजना के अंतर्गत 24 व्‍यावसायिक समूहों/क्षेत्रों का बीमा लाभ के दायरे में लाया गया है। यह योजना जनश्री बीमा योजना के स्‍थान पर अगस्‍त 2000 में प्रारंभ की गई। किंतु, पहले कवर किए गए समूहों का नवीकरण की अनुमति दी गई।

जनरल इंश्‍योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

जनरल इंश्‍योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी) को 3 नवंबर, 2000 से 'इंडियन रीइन्‍श्‍यूरर यानी भारतीय पुनर्बीमाकर्ता के रूप में मान्‍यता दी गयी। पुनर्बीमाकर्ता के रूप में जी आई सी सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों और निजी क्षेत्र की सामान्‍य बीमा कंपनियों को पुनर्बीमा सेवाएं प्रदान करती है। निगम ने 1 अप्रैल, 2003 से पुनर्बीमा कारोबार पूरी तरह शुरू कर दिया है। यह पुनर्बीमा सुविधा प्रदाता के रूप में अपनी भूमिका जारी रखे हुए है और भारतीय बीमा उद्योग की ओर से निगम ने मैरीन हल पूल यानी समुद्री कार्य जाखिम पूल की स्‍थापना की है। इसी प्र‍कार आतंकवादी गतिविधियों से होने वाली क्षति के प्रबंधन में बीमा सहायता पहुंचाने के लिए भी आतंकवाद पूल का निर्माण किया है। जीआईसी के पुनर्बीमा कार्यक्रम का लक्ष्‍य देश में महत्‍वपूर्ण संपत्तियां को बीमा सुरक्षा प्रदान करना और समुचित पुनर्बीमा कार्यक्रम का विकास करना है।

वर्ष के दौरान निगम ने भारतीय बीमाकर्ताओं को सभी प्रकार से कारोबार में अधिकतम सहायता देना जारी रखा। कंपनी ने एक नई योजना पीक रिस्‍क फैसिलिटी यानी व्‍यस्‍तता के समय जोखिम प्रबंधन सुविधा शुरू की है। इस तरह व्‍यस्‍तता के समय जोखिम प्रबंधन क्षमता 1,500 करोड़ रुपए से बढ़कर 3,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गयी। जी आई सी द्वारा संचालित आतंकवादी कार्रवाई जोखिम प्रबंधन क्षमता पहले की 300 करोड़ रुपए से बढ़‍‍कर एक अप्रैल, 2005 को 500 करोड़ रुपए को पार कर गयी। जीआईसी ने मालदीव, केन्‍या, मलेशिया, मारीशस, मध्‍य-पूर्व, अफ्रीका और श्रीलंका में कंपनियों के पुनर्बीमा कार्यक्रम का नेतृत्‍व जारी रखा। इस प्रक्रिया में यह कंपनी अफ्रीकी-एशियाई क्षेत्र में वरीयता प्राप्‍त पुनर्बीमाकर्ता के रूप मे उभरी। वर्ष 2005-06 के दौरान इसकी शुद्ध प्रीमियम आय उससे पिछले वर्ष की 4,234.88 करोड़ रुपए से बढ़कर 4,614.87 करोड़ रुपए हो गयी। कंपनी ने 4,573.07 करोड़ रुपए के दावे बहन किए, जो 107.98 प्रतिशत के थे ज‍बकि इससे पिछले वर्ष कंपनी ने 3702.80 करोड़ रुपए के दावे वहन किए थे, जो 80.25 प्रतिशत थे। कर अदा करने से पहले कंपनी का लाभ 31 मार्च, 2006 को 442.94 करोड रुपए था, जबकि 31 मार्च, 2005 को यह राशि मात्र 800.08 करोड़ रुपए थी। निगम ने पिछले वर्ष 598.52 करोड रुपए का मुनाफा कमाया, जो पिछले वर्ष मात्र 200.02 करोड रुपए था। 31 मार्च, 2006 को कंपनी की कुल परिसंपत्तियां 26,424.03 करोड़ रुपए और विशुद्ध मूल्‍य 4,759.13 करोड़ रुपए था।

निगम ने विदेश मे पुनर्बीमा व्‍यवसाय बढ़ाने के उद्देश्‍य से लंदन और मास्‍को में अपने प्रतिनिधि कार्यालय खोल रखे हैं। पुनर्बीमा कारोबार के अतिरिक्‍त जीआईसी केन इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड, केन्‍या और इंडिया इंटरनेशनल इंश्‍योरेंस प्राइवेट लिमिटेड सिंगापुर की शेयर पूंजी में हिस्‍सेदारी बनाए हुए है। निगम ने मारीशस में भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा प्रोन्‍नत संयुक्‍त उद्यम कंपनी एलआईसी (मारीशस) आफशोर लिमिटेड की प्रारंभिक शेयर पूंजी में 30 प्रतिशत का अंशदान किया है।

भारतीय जीवन बीमा निग‍म

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अपने मुंबई स्थित केंद्रीय कार्यालय तथा मुबई, कोलकाता, दिल्‍ली, चेन्‍नई, हैदराबाद, कानपुर और भोपाल स्थित सात क्षेत्रीय कार्यालयों एवं प्रमुख शहरों में स्थित अपने 101 मंडल-कार्यालयों और मुंबई के वेतन बचत योजना प्रभाग सहित तथा 2,048 शाखा कार्यालयों के जरिए कार्य करता है। 31 मार्च, 2006 तक देशभर में इसके 10,52,283 सक्रिय एजेंट थे। यह विदेशों में भी व्‍यवसाय करता है। वहां इसके कार्यालय फिजी, मॉरीशस और ब्रिटेन में हैं।

निगम की एक अंतर्राष्‍ट्रीय अनुषंगी कंपनी लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन (इंटरनेशनल), ई.सी. बहरीन की स्‍थापना 1989 में की गई थी। भारतीय जीवन बीमा निगम ने विदेशों में बीमा क्षेत्र में संयुक्‍त उद्यम भी स्‍थापित किए हैं। इनमें केन-इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड, नैरोबी; नेपाल में काठमांडू में स्‍थानीय औद्योगिक समूह 'विशाल ग्रुप लिमिटेड के साथ स्‍थापित की गयी लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोशन (नेपाल) लिमिटेड प्रमुख हैं। निगम का नवीनतम संयुक्‍त उद्यम एल.आई.सी. (लंका) लिमिटेड है जिसकी स्‍थापना एक मार्च, 2003 को वहां की बर्टलीट एंड कंपनी के सहयोग से की गई। अफ्रीका में बीमा करने के लिए एल आई सी इंश्‍योरेंस (मॉरीशस) ऑफशोर लिमिटेड नामक कंपनी बनायी गयी।

वर्ष 2005-06 के दौरान 315.73 लाख व्‍यक्तिगत पॉलिसियों के अंतर्गत निगम ने 1,79,883.16 करोड़ रुपए का नया कारोबार किया। निगम के समूह बीमा विभाग ने 11,845 योजनाओं के तहत 3,919.01 करोड़ रुपए का नया कारोबार किया और 51.27 लाख लोगों को सुरक्षा प्रदान की। परंपरागत समूह बीमा कारोबार में बीमाकृत राशि 25,216.88 करोड़ रुपए है। इसके अतिरिक्‍त निगम ने 19,48,025 नई व्‍यक्तिगत पेंशन पॉलिसी बेचीं।
अस्‍थायी नतीजों के अनुसार 31 मार्च, 2006 को जीवन बीमा निगम का जीवन-कोष 4,63,147.62 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। वर्ष 2005-06 के दौरान निगम ने बीमा धारकों की मृत्‍यु के मामलों में 3769.04 करोड़ रुपए, परिपक्‍वता दावों के तहत 24,743.42 करोड़ रुपए और वार्षिक दावों के तहत 1,977.54 करोड़ रुपए का भुगतान किया। (ये आंकड़े अनंतिम और लेखा-परीक्षा से पहले के हैं।)
वरिष्‍ठ पेंशन बीमा योजना के अंतर्गत एलआईसी ने मृत्‍यु के मामलों में 75.47 करोड़ रुपए और वार्षिक दावों के तहत 656.08 करोड़ का भुगतान किया। (ये आंकड़े अनंतिम और लेखा-परीक्षा से पहले के हैं।)

सामाजिक सुरक्षा सामूहिक बीमा योजना

सामाजिक सुरक्षा कोष की स्‍थापना वर्ष 1988-89 में की गई थी ताकि समाज के कमजोर और संवेदनशील वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके। इन वर्गों की बीमा संबंधी आवश्‍यकताएं पूरी करने के लिए एलआईसी द्वारा सामाजिक सुरक्षा कोष का प्रबंधन किया जाता है।
इस योजना के अंतर्गत 24 व्‍यावसायिक समूहों/क्षेत्रों का बीमा लाभ के दायरे में लाया गया है। यह योजना जनश्री बीमा योजना के स्‍थान पर अगस्‍त 2000 में प्रारंभ की गई। किंतु, पहले कवर किए गए समूहों का नवीकरण की अनुमति दी गई।

जनश्री बीमा योजना

जनश्री बीमा योजना 10 अगस्‍त, 2000 को शुरू की गई। इसने 'सामाजिक सुरक्षा समूह बीमा योजना (एसएसजीआईएस) और 'ग्रामीण समूह जीवन बीमा योजना (आरजीएलआईएस) की जगह ली। इस योजना के तहत बीमाधारी व्‍यक्ति की स्‍वाभाविक मृत्‍यु पर उसके परिजनों को 20,000 रुपए का बीमा लाभ दिया जाता है। दुर्घटना के कारण मृत्‍यु होने या स्‍थायी विकलांगता की स्थिति में दी जाने वाली राशि 15 अगस्‍त, 2006 से 50,000 रुपए से बढा़‍कर 75,000 रुपए कर दी गई। इसके लिए पहले 25,000 रुपए दिए जाते थे। इस योजना के त‍हत प्रति व्‍यक्ति प्रीमियम 200 रुपए है। इसका 50 प्रतिशत भाग सामाजिक सुरक्षा कोषा से दिया जाएगा। शेष राशि बीमाधारी स्‍वयं देगा या नोडल एजेंसी देगी। 31 मार्च, 2006 तक करीब 39.87 लाख व्‍यक्तियों को इसके दायरे में लाया गया। सामाजिक सुरक्षा कोष की राशि 31 मार्च, 2006 को 808 करोड़ रुपए थी।

कृषि मजदूर सामाजिक सुरक्षा योजना

यह योजना 1 जुलाई, 2001 को शुरू हुई। इसमें जीवन बीमा सुरक्षा, सा‍वधिक एकमुश्‍त जीवन लाभ तथा कृषि मजदूरों को पेंशन का लाभ दिया जाता है। इस योजना में 18 से 50 वर्ष तक के लोग शामिल हो सकते हैं। शुरूआत के समय समूह की न्‍यूनतम सदस्‍य- संख्‍या 20 होनी चाहिए।
ग्राम पंचायतें इस योजना के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करती हैं और वे स्वयं सेवी संगठन/स्वयं सहायता समूह अथवा किसी अन्य एजेंसी की मदद से कृषि श्रमिकों की पहचान करती हैं। 31 मार्च, 2006 को 29,074 कृषि श्रमिकों को इस योजना के दायरे में लाया गया। दिसम्बर, 2003 से इस योजना के अंतर्गत नई पॉलिसियों की बिक्री बंद कर दी गई। नवीकरण के समय मौजूदा योजनाओं के अंतर्गत भी जीवन लाभ के लिए किसी नए सदस्य को शामिल नहीं किया जाना था।

शिक्षा सहयोग योजना

यह योजना 31‍ दिसंबर, 2001 को शुरू की गई। इसका उद्देश्‍य बच्‍चों की शिक्षा का खर्च पूरा करने में माता-पिता की सहायता करना है। इसके तहत 9 वीं से 12 कक्षा (आईटीआई पाठ्यक्रम सहित) में पढ़ने वाले उन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाती है, जिनके माता-पिता गरीबी की रेखा से नीचे या इससे कुछ ऊपर गुजर-बसर कर रहे हों और साथ ही जनश्री बीमा योजना के सदस्‍य हों।

जनश्री बीमा योजना के सदस्‍य के अधिकतम दो बच्‍चों को अधिक से अधिक चार साल तक हर तिमाही पर प्रत्‍येक विद्यार्थी को 300 रुपए की छात्रवृत्ति दी जाती है। इस लाभ के लिए कोई प्रीमियम वसूल नहीं किया जाता। 31 मार्च, 2006 तक 3,20,253 लाभार्थियों को छात्रवृत्तियां वितरित की गई।

जनरल इंश्‍योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

जनरल इंश्‍योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी) को 3 नवंबर, 2000 से 'इंडियन रीइन्‍श्‍यूरर यानी भारतीय पुनर्बीमाकर्ता के रूप में मान्‍यता दी गयी। पुनर्बीमाकर्ता के रूप में जी आई सी सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों और निजी क्षेत्र की सामान्‍य बीमा कंपनियों को पुनर्बीमा सेवाएं प्रदान करती है। निगम ने 1 अप्रैल, 2003 से पुनर्बीमा कारोबार पूरी तरह शुरू कर दिया है। यह पुनर्बीमा सुविधा प्रदाता के रूप में अपनी भूमिका जारी रखे हुए है और भारतीय बीमा उद्योग की ओर से निगम ने मैरीन हल पूल यानी समुद्री कार्य जाखिम पूल की स्‍थापना की है। इसी प्र‍कार आतंकवादी गतिविधियों से होने वाली क्षति के प्रबंधन में बीमा सहायता पहुंचाने के लिए भी आतंकवाद पूल का निर्माण किया है। जीआईसी के पुनर्बीमा कार्यक्रम का लक्ष्‍य देश में महत्‍वपूर्ण संपत्तियां को बीमा सुरक्षा प्रदान करना और समुचित पुनर्बीमा कार्यक्रम का विकास करना है।

वर्ष के दौरान निगम ने भारतीय बीमाकर्ताओं को सभी प्रकार से कारोबार में अधिकतम सहायता देना जारी रखा। कंपनी ने एक नई योजना पीक रिस्‍क फैसिलिटी यानी व्‍यस्‍तता के समय जोखिम प्रबंधन सुविधा शुरू की है। इस तरह व्‍यस्‍तता के समय जोखिम प्रबंधन क्षमता 1,500 करोड़ रुपए से बढ़कर 3,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गयी। जी आई सी द्वारा संचालित आतंकवादी कार्रवाई जोखिम प्रबंधन क्षमता पहले की 300 करोड़ रुपए से बढ़‍‍कर एक अप्रैल, 2005 को 500 करोड़ रुपए को पार कर गयी। जीआईसी ने मालदीव, केन्‍या, मलेशिया, मारीशस, मध्‍य-पूर्व, अफ्रीका और श्रीलंका में कंपनियों के पुनर्बीमा कार्यक्रम का नेतृत्‍व जारी रखा। इस प्रक्रिया में यह कंपनी अफ्रीकी-एशियाई क्षेत्र में वरीयता प्राप्‍त पुनर्बीमाकर्ता के रूप मे उभरी। वर्ष 2005-06 के दौरान इसकी शुद्ध प्रीमियम आय उससे पिछले वर्ष की 4,234.88 करोड़ रुपए से बढ़कर 4,614.87 करोड़ रुपए हो गयी। कंपनी ने 4,573.07 करोड़ रुपए के दावे बहन किए, जो 107.98 प्रतिशत के थे ज‍बकि इससे पिछले वर्ष कंपनी ने 3702.80 करोड़ रुपए के दावे वहन किए थे, जो 80.25 प्रतिशत थे। कर अदा करने से पहले कंपनी का लाभ 31 मार्च, 2006 को 442.94 करोड रुपए था, जबकि 31 मार्च, 2005 को यह राशि मात्र 800.08 करोड़ रुपए थी। निगम ने पिछले वर्ष 598.52 करोड रुपए का मुनाफा कमाया, जो पिछले वर्ष मात्र 200.02 करोड रुपए था। 31 मार्च, 2006 को कंपनी की कुल परिसंपत्तियां 26,424.03 करोड़ रुपए और विशुद्ध मूल्‍य 4,759.13 करोड़ रुपए था।

निगम ने विदेश मे पुनर्बीमा व्‍यवसाय बढ़ाने के उद्देश्‍य से लंदन और मास्‍को में अपने प्रतिनिधि कार्यालय खोल रखे हैं। पुनर्बीमा कारोबार के अतिरिक्‍त जीआईसी केन इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड, केन्‍या और इंडिया इंटरनेशनल इंश्‍योरेंस प्राइवेट लिमिटेड सिंगापुर की शेयर पूंजी में हिस्‍सेदारी बनाए हुए है। निगम ने मारीशस में भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा प्रोन्‍नत संयुक्‍त उद्यम कंपनी एलआईसी (मारीशस) आफशोर लिमिटेड की प्रारंभिक शेयर पूंजी में 30 प्रतिशत का अंशदान किया है।

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