Sunday 4 December 2016

खाद्य प्रसंस्करण

खाद्य प्रसंस्करण

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमएफपीआई) जुलाई, 1988 में देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित किया गया था। समग्र राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और उद्देश्यों के भीतर खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए नीतियों एवं योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए मंत्रालय जवाबदेह है। मंत्रालय इस क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश लाने, उद्योग की मदद करने और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के स्वस्थ विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाने हेतु एक उत्प्रेरक, मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है। इन समग्र उद्देश्यों के भीतर, मंत्रालय कृषि उपज के बेहतर उपयोग और मूल्य संवर्धन का भी ध्यान रखता है। खाद्य प्रसंस्करण श्रृंखला के सभी स्तरों पर अपव्यय घटाने हेतु भंडारण, परिवहन और कृषि-खाद्य उत्पादन की बुनियादी सुविधाओं का विकास, प्रसंस्करण में आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग, उत्पाद एवं प्रक्रिया के विकास के लिए अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत समर्थन प्रदान किया गया है। मूल्य वर्धित निर्यात को बढ़ावा देने में प्रचारात्मक पहल और सुविधा की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण होती है क्योंकी ये खेतों से उपभोक्ता तक की आपूर्ति श्रृंखला के बीच के अंतराल को कम करती है।

प्रमुख नीतिगत पहल

  • खाद्य प्रसंस्करण की पहचान रोजगार की संभावना वाले उद्योग के रूप में की गई है।
  • अधिकांश प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को उद्योग (विकास और नियमन) अधिनियम, 1951 के तहत लाइसेंस के दायरे से छूट दी गई है। इस छूट के दायरे में लघु क्षेत्र और मादक पेय पदार्थों के लिए आरक्षित वस्तुएं शामिल नहीं हैं।
  • ऋण की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने बैंकों की ऋण प्राथमिकता सूची में प्रसंस्करण उद्योगों को शामिल किया है। कृषि प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे और बाजार विकास के लिए नाबार्ड ने विशेष रूप से 1000 करोड़ रुपए के कोष की व्यवस्था की है।
  • 150 करोड़ का प्रावधान राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत टर्मिनल बाजारों के लिए किया गया है।
  • बैंक ऋण की प्राथमिकता सूची में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को 1999 में शामिल किया गया।
  • अधिकांश प्रसंस्कृत खाद्य मदों में 100% तक विदेशी इक्विटी को स्वत: अनुमोदन का प्रावधान किया गया है। शराब और बियर और लघु उद्योग क्षेत्र के लिए आरक्षित वस्तुएं इसका अपवाद हैं तथा इनके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं।
  • प्रसंस्कृत फलों और सब्जियों पर लगने वाले 16% उत्पाद शुल्क को 2001-02 के बजट में समाप्त कर दिया गया।
  • 2004-05 के बजट में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की कुछ श्रेणियों को आयकर से मुक्त और अन्य के लिए रियायतों की घोषणा की गई।
  • आयकर अधिनियम में फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण तथा डिब्बाबंदी के लिए नए स्थापित उद्योगों को पहले पांच सालों तक लाभ में 100% तथा अगले पांच सालों तक लाभ में 25% छूट का लाभ मिलेगा।
  • वित्तीय वर्ष 2007-08 के बजट में निम्नलिखित वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा की गई:
    • लघु उद्योगों के लिए उत्पाद शुल्क की छूट सीमा 1 करोड़ रु. से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपए कर दी गई।
    • 100 रुपए प्रति किलोग्राम से कम खुदरा मूल्य वाले बिस्कुट पर लगने वाले 8% उत्पाद शुल्क को समाप्त कर दिया गया है।
    • खाद्य उत्पादों में मिश्रित किए जाने वाली सामग्री पर लगने वाले 8% उत्पाद शुल्क को हटा दिया गया।
    • सोया बड़ी (खाद्य पूरक) और खाने के लिए तैयार सामग्री को पूरी तरह उत्पाद शुल्क से मुक्त कर दिया गया।
    • प्रशीतित मोटर वाहन पर लगने वाले उत्पाद शुल्क को 16% से घटाकर 8% कर दिया गया और सीमा शुल्क में भी कमी की गई है।
    • खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी पर लागू कस्टम ड्यूटी 7.5% से कम करके 5% कर दी गई।
    • सूरजमुखी के तेल (कच्चा) पर कस्टम ड्यूटी 65% से 50% कर दी गई और सूरजमुखी तेल (परिष्कृत) पर 75% से 60% कर दी गई।
    • परिष्कृत खाद्य तेलों को 4% के विशेष अतिरिक्त शुल्क से मुक्त कर दिया गया।
    • केन्द्रीय बिक्री कर अप्रैल, 2007 से 4% से घटा कर 3% कर दिया गया है।
    • सभी प्रौद्योगिकी व्यापार इन्क्यूबेटरों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं को सेवा कर से छूट दी हे
    • टेक्नॉलाजी बिजनेस इनक्यूबेटर्स द्वारा प्रदान की जा रही सभी सेवाओं को सेवा कर से छूट प्रदान की गई।
    • टेक्नॉलाजी बिजनेस इनक्यूबेटर्स की सेवाएं ले रही संस्थाओं को, जिनका सालाना कारोबार 50 लाख रुपए से अधिक नहीं है, पहले तीन वर्षों के लिए सेवा कर से छूट प्राप्त है।

विकास दर

दसवीं पंचवर्षीय योजना के पहले चार वर्षों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की औसत विकास दर वर्तमान कीमतों के आधार पर 13.25% तथा 1999-2000 की कीमतों के आधार पर 6.75% रही।

योजना

10 वीं योजना के दौरान मंत्रालय ने प्रौद्योगिकी उन्नयन/आधुनिकीकरण/खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना, अवसंरचना विकास, मानव संसाधन विकास, गुणवत्ता आश्वासन, अनुसंधान एवं विकास तथा अन्य प्रचार गतिविधियों के लिए सुनियोजित योजनाओं को लागू किया है।
11वीं योजना में उपरोक्त योजनाओं को दी जा रही सहायता जारी रखने और तथा उच्च स्तर की मदद दिए जाने का प्रस्ताव है। 11वीं योजनावधि में मंत्रालय बुनियादी सुविधाओं के विस्तार की योजना बना रहा है जिसके तहत मेगा फूड पार्क, प्रशीतन भंडारों की श्रृंखला तथा मूल्य आधारित सेवा केंद्रों और पैकेजिंग केंद्रों की स्थापना की जाएगी। मेगा फूड पार्क योजना उत्पादकों और उपभोक्ता के मध्य कड़ी का काम करने के अलावा निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला उपलब्ध कराने में मददगार साबित होंगे। इसका जोर कृषि और बागवानी के साथ मजबूत संबंधों के निर्माण पर रहेगा। जिससे परियोजना के कार्यान्वयन की क्षमताओं को बढ़ाने, निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण में वृद्धि की जा सकेगी और अच्छी गुणवत्ता वाली कृषि और बागवानी उपज की एक सतत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। इस तरह से एक ऐसा तंत्र प्रदान विकसित किया जा सकेगा जो किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और खुदरा विक्रेताओं को साथ लेकर चलेगा जिससे उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार, खाद्यान्न की बरबादी कम करने और किसानों की आय बढ़ाने में सहायता मिलेगी। मेगा फूड पार्क सुपरिभाषित कृषि/बागवानी प्रसंस्करण क्षेत्र युक्त होगा जिसमें प्रसंस्करण की अच्छी सुविधाएं, आवश्यक बुनियादी ढांचे, अच्छी आपूर्ति श्रृंखला की सुविधाएं होंगी। प्रस्तावित योजना का मूल उद्देश्य एकीकृत मूल्य श्रृंखला की स्थापना की सुविधा प्रदान करना है जिसका मूल प्रसंस्करण सुविधाओं को बढ़ाना है। जो प्रसंस्करण से संबंधित सभी सूत्रों को जोड़ने के लिए संपर्कसूत्र का काम करेगा। परियोजनाओं के कार्यान्वयन अवधारणा में परियोजना प्रबंधन पेशेवर एजेंसियां की सहायता ली जाएगी। जो योजना के निर्माण से लेकर उसे लागू करने में सहायता प्रदान करेंगे। 11 वीं योजना के अंतर्गत् देश के विभिन्न भागों में 30 मेगा फूड पार्कों की स्थापना की जाएगी।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग: विजन 2015

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीति और कार्य योजना विजन 2015 को अंतिम रूप दिया गया है। इसका उद्देश्य जल्दी खराब होने वाली खाद्य सामग्री के लिए प्रसंस्करण स्तर को 6% से 20%, मूल्यवर्धन स्तर को 20% से 35% तथा वैश्विक खाद्य व्यापार हिस्सेदारी को 1.6% से बढ़ाकर 3% करना है। फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण के स्तर को वर्तमान 2.2% से 2010 और 2015 तक क्रमशः 10% और 15% के स्तर तक पहुंचाने की परिकल्पना की गई है। मंत्रिमंडल ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में, मंत्रियों के समूह (जीओएम) द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर कृषि व्यवसाय और दर्शन, रणनीति और कार्य योजना को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत रणनीति को मंजूरी दी है।

एकीकृत खाद्य कानून

एक एकीकृत खाद्य कानून, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 दिनांक 24.8.2006 को अधिसूचित किया गया। अधिनियम जटिल खाद्य कानूनों और नियामक एजेंसियों के स्थान पर क्षेत्र के लिए एकल खिड़की प्रदान समाधान की व्यवस्था करता है। इस कानून के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रशासन और अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में नामित किया गया है।

राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (निफटेम)

मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान की स्थापना हरियाणा के कुंडली में की है। संस्थान खाद्य प्रसंस्करण के लिए ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करेगा। निफटेम को एक कंपनी के रूप के निगमन प्रमाणपत्र कंपनी अधिनियम, 1956 के सेक्शन 25 के तहत प्रदान किया गया है।

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